अब आप सोचे क्या हो रहा है इन पागल इन्शानो को ! इनकी दिमागी खुरापतो से बेड़ा गर्ग समझो इस सृष्टि का !


अंकलजी , आंटीजी सम्पतिया का प्रणाम पकड़े ! आशीर्वाद फैके! बहुत दिनों बाद आप लोगो के दर्शन ले रहा हु ! मै आजकल बहुत व्यतिथ हु की ज्योतिष शास्त्र के बहाने शिक्षित वर्ग भगवान को चैलेन्ज करने उतरा हुआ है ! कुछ दिनों पूर्व मै मम्मा के साथ होटल गया था तभी दो आंटियो को आपस में बतियाते सूना तो दिल कुछ टूट सा गया ! एक आंटी माँ बननी वाली थी तब दूसरी आंटी उससे कहती है -" देख शम्मू ! तो अपनी डिलवरी पंडितजी से मोहरत निकाल के ही करवाना ! शुभ समय घड़ी में शिशु को जन्म देगी तो तुम्हारा बाबा दुनिया का किंग होगा ! अब आप सोचे क्या हो रहा है इन पागल इन्शानो को ! इनकी दिमागी खुरापतो से बेड़ा गर्ग समझो इस सृष्टि का !

कोन नही चाहता की उनके घर में नन्हे-मुन्नों की किलकारी गूंजे....पर मै यह सुन हतप्रत हू जो किसी ख़ास मुहर्त पर ही बच्चे को जन्म देना चाहते है!

सब जानते है कि फूलो के खिलने का भी ख़ास मोसम होता है, ठीक इसी तरह बच्चो का जन्म लेना भी एक कुदरती प्रक्रिया है, जिसे बदलने की कोशिस करना एक गम्भीर खतरे को बुलावा देना है. एक महिला से ज्योतिषी ने उसे ख़ास समय पर बच्चे को जन्म देने पर लडका होने की बात कही थी.

मै यह सोचकर हैरान हू कि प्रसव का समय बदलने से बच्चे का जेंडर कैसे बदल सकता है! इसी तरह एक दुसरे मामले में महिला के परिवार पंडित ने उसे सलाह दी थी कि वह अस्पताल से बच्चे को १७ तारीख से पहले बाहर नही निकले, क्यों कि ग्रहों की स्थिति अनुकूल नही है!

इस तरह के अंधविश्वास से एक तयसुदा मोहरत में बच्चे की डिलीवरी का चलन बढा है. कुछ लोग ग्रह- नक्षत्र या शुभ मुर्हत के आधार पर यह तय करते है, तो कुछ अपने जन्मदिन या मैरिज एनिवर्सरी के दिन बच्चे का जन्म सिजेरियन रूप से कराते है!

यह बड़ी ही दर्दनाक एवं घिनोनी प्रक्रिया है जो फुल जैसे कोमल नाजुक अजन्मे बच्चे पर मानव का क्रूर रूप दर्शाता है ! विश्व स्वास्थ्य सगठन के मुताबिक़ सिजेरियन प्रसव १५ फीसदी से ज्यादा नही होना चाहिए ! जबकि दिल्ली में पिछले दिनों हुए एक सर्वे से पता चलता है कि ६५ फीसदी मामलो में सिजेरियन ओपरेशन हो रहे है.

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